
सुलेख जीवन का आईना होता है।
भारत का संवाद सेतु ...
संस्कृत , हिन्दी, गुजराती , मराठी तथा अन्य भारतीय भाषाऐं और इंग्लिश ...
जिससे हमारा नाता है।
सुलेख जीवन का आईना होता है।
भारत का संवाद सेतु ...
संस्कृत , हिन्दी, गुजराती , मराठी
तथा अन्य भारतीय भाषाऐं और इंग्लिश ...
जिससे हमारा नाता है।





हिन्दी विकास सुलेख संस्था (NGO)

हिन्दी विकास सुलेख संस्था विद्या रसिकों का एक समूह है l समाज के रचनाशील एवं विभिन्न विधियों से जुड़े व्यक्तित्वों का एक परिवार है l इसकी स्थापना के पीछे मानव समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति एवं मातृभाषा की सेवा के उत्तरदायित्वों का विस्तार करते हुए अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर है l
सुलेख, व्यक्ति का पहला परिचय होता है l या यूँ कहें कि:- “सुलेख मनुष्य के जीवन का आईना होता है” l यह भी सच है कि ‘दोषपूर्ण लेखनी – अधूरी शिक्षा का प्रमाण है’ और अशुद्ध लेखनी आज सारे संसार की समस्या बनी हुए है l जिसके हल के लिए हिन्दी विकास सुलेख संस्था इंदौर (भारत) की स्थापना वर्ष 2000-2001 में की गई l
संस्था का पंजीयन क्रमांक :
IND/5136/2000 दिनांक 09/02/2001
संस्था का पंजीयन क्रमांक : IND/5136/2000 दिनांक 09/02/2001
संस्था को आयकर विभाग, भारत सरकार द्वारा धारा 12A, 80G एवं CSR सर्टिफिकेट जारी किए गये है ।
संस्था के उद्देश्य
संस्था समाज की सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा है l संस्था की नैतिकता की ग्यारंटी सामाजिक विकास की होती है l उसी क्रम में ‘ हिन्दी विकास सुलेख संस्था ’ समाज, मानवीयता के समग्र विकास एवं छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने का कार्य विगत तीन दशकों से कर रही है l युवाओं में मातृभाषा के सम्मान, प्रशिक्षण, सहज जीवन, मार्गदर्शन, जीवन जीने की कला तथा राष्ट्रप्रेम की भावना भरना है l संस्था जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतो का पालन करने के लिए भी प्रतिज्ञाबद्ध है l

शिक्षा का स्तर बढ़ाना l

ख़ुशी के लिए प्रेरित करना l

बेहतर स्वास्थ्य पर संगोष्ठी l

संगीतमय जीवन l

प्रगतिशील भारत की रचना l

हम करते है मानवसेवा और सामजिक कर्तव्यों का निर्वाह
शिक्षा व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाती है कहते है दुनिया की खूबसूरती आँखों से नहीं शिक्षा से देखी जा सकती है l शिक्षा का सही अर्थ है सीखना – सिखाना और यह एक जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है l
कबीर कहते है कि ‘ जन्म के पालने से मृत्यु शैय्या ’ तक भी ज्ञान प्राप्त किया जाए तो भी अधूरा रहेगा l शिक्षा कौशल आधारित हो l हम भी पिछले 40 वर्षो से संस्कृत, हिन्दी, मराठी, गुजराती और इंग्लिश और अन्य भारतीय भाषाओं एवं बोलियों के अनिवार्य बिन्दुओं को खुलकर बताते – वो भी निःशुल्क सिखाते है l
हमारी बंदगी ... शिक्षा , स्वास्थ्य , ख़ुशी , संगीत और प्रगतिशील भारत ।

शिक्षा (Education)
शिक्षा हमारे देश की बुद्धि और समृद्धि का मूल आधार है। हमारी बंदगी का पहला स्तंभ शिक्षा के प्रति समर्पित है, जो हमें ज्ञान का स्रोत प्रदान करता है और हमें आत्मनिर्भर बनाता है। यह हमारे भविष्य को उज्ज्वल करता है और हमें विकास के मार्ग पर ले जाता है।

स्वास्थ्य (Health)
स्वास्थ्य दूसरा महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो हमारी बंदगी का हिस्सा है। भारत की जनसंख्या के साथ-साथ स्वास्थ्य का सफल प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है। स्वस्थ नागरिक समृद्धि के माध्यम होते हैं और एक प्रगतिशील भारत की ओर कदम बढ़ाते हैं।

ख़ुशी (Happiness)
ख़ुशी तीसरा मुख्य स्तंभ है, जो हमारी बंदगी का आधार है। ख़ुशी का महत्व जीवन में आनंद और संतोष का अहम हिस्सा है, और यह समृद्धि के एक मानवीय पहलू को दर्शाता है।

संगीत (Music)
संगीत हमारी बंदगी का चौथा स्तंभ है, जो भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। संगीत का मानवीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण हमारे जीवन में आनंद और सुख लाता है और हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम प्रदान करता है।

प्रगतिशील भारत (Progressive Bharat)
प्रगतिशील भारत एक नया सफ़र है। आजकल के समय में हमारा देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है, तथा नीत-नए आयोगों को छू रहा है। तकनीकी और आर्थिक विकास के साथ ही, हम भारत को एक उच्चतम स्तर पर पहुँचाने के लिए समर्पित हैं।
- हमारा अभियान
हमारे अभियान के बारे में चिंतन
हिन्दी सुलेख यात्रा पर हमारा अभियान भारतीयों के और उनकी मातृभाषाओं के बीच गहरा जुड़ाव बनाता है, भाषाई विविधता का संजोकर रखते हैं। हम राष्ट्रभर में व्यक्तियों को उनकी मातृभाषाओं में लिखने और बोलने की सशक्तिकरण करने का प्रयास करते हैं, हमारी भाषाओं की समृद्धि को संजोए रखते हैं और सांस्कृतिक एकता को पोषण देते हैं। हम भारतीय भाषाओं और प्रकाशमान अनुभवों के माध्यम से अपनी मातृभाषाओं की सुंदरता के महत्व को संरक्षित, प्रोत्साहित, और प्रसारित करने में समर्पित हैं।
हिन्दी सुलेख यात्रा में हमारी दृष्टि उस एकजुट भारत की ओर है जहाँ प्रत्येक नागरिक अपनी भाषाई धरोहर से अत्यधिक गर्व महसूस करते है। हम ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जो भाषाओं के समरसता पर आधारित है, जहाँ व्यक्तियों को आसानी से लिपियों और बोलियों के बीच संबंध स्थापित करने की क्षमता होती है, संवाद की बाधाओं को तोड़ते हुए और अपनी जीवन में हमारी विविध भाषाओं में समाहित ज्ञान को बढ़ावा देता है। हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं जहाँ हमारे प्रयास भाषा के मूल्यांकन की ओर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत करते हैं, जिससे भाषाई ज्ञान और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
- विविधता का समर्थन: भारतीय भाषाओं की विशिष्ट पहचान हमारे मन में है , और हम उसका सम्मान करते है । हम भाषाओं के विशेष गुणों का स्वागत करते हुए, समाज के लिए योगदान देते है ।
- समावेश: हम सभी व्यक्तियों को समान अवसर प्रदान करने में विश्वास करते हैं, चाहे उनकी भाषाई पृष्ठभूमि हो या संस्कृति। अपनी हिन्दी विकास यात्राओं के माध्यम से विभिन्न भाषाओं को समझने और सीखने की कोशिश करते है।
- सांस्कृतिक धरोहर: हम भाषाओं में एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की महत्वपूर्णता को मानते हैं। निरंतर उनकी कहानियों और परंपराओं को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।

सुलेखाचार्य के बारे में दो बाते ...
श्री श्याम शर्मा
सुलेखाचार्य श्री श्याम शर्मा का जन्म मध्यप्रदेश मालवा के देवास ज़िले में, 2 अक्टूबर सन 1965 को एक सामान्य किसान परिवार में हुआ इनके पिता का नाम श्री उमाशंकर जी शर्मा एवं माँ का नाम श्रीमती हीरकुँवर शर्मा है l
सुलेखाचार्य जी ने मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में सुदीर्घ सेवा देनें के उपरान्त ऐच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली एवं देवनागरी लिपि के सुलेख को समृद्ध करने के संकल्प को जीवन का लक्ष्य बना लिया l
स्वयंसेवी लघु प्रयासों से आज तक लाखों विद्यार्थियों एवं समाजजन की लेखन शैली को निखारा है वो भी नि:शुल्क क्योंकि गरज ये थी कि :-
मातृ भाषा परित्यज्ये यो अन्य भाषा मुपास्ते।
तत्र यांति ही ते देश: यत्र सूर्यो न भासते ।।
हमारे स्वयंसेवकों से मिलें

श्री श्याम शर्मा
(सुलेखाचार्य)

श्री श्याम शर्मा
(सुलेखाचार्य)
- Phone:+91-9826770077
- Email:hindisulekh77@gmail.com
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श्री विनीत जी गर्ग - कल्याण ग्रुप इंदौर
(अध्यक्ष)

श्री विनीत जी गर्ग - कल्याण ग्रुप इंदौर
(अध्यक्ष)
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श्री अचल जी चौधरी
(राष्ट्रीय संयोजक)

श्री अचल जी चौधरी
(राष्ट्रीय संयोजक)
अचल जी एक आर्किटेक्ट, एक शिक्षाविद , समाजसेवी होने के साथ साथ पर्यावरण प्रेमी भी है। अचल चौधरी जी की मेहनत से आज आईपीएस अकादमी के अंतर्गत १६ कॉलेजस और ७१ कोर्सेस चल रहे हैं| आईपीएस अकादमी का आर्किटेक्चर कोर्स भारत के टॉप ५ में से एक है और मध्य भारत में पहले स्थान पर है |
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डा.निर्मल जैन - जयपुर
(राष्ट्रीय समन्वयक)

डा.निर्मल जैन - जयपुर
(राष्ट्रीय समन्वयक)
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श्री सुमित जैन
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हमारी भावी योजनाऐं

1.) हिन्दी विकास यात्रा

हिन्दी विकास यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक सम्पूर्ण भारत में जनसहयोग से निकाली जावेगी । यह यात्रा भाषीय सेतु से सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में बाँधेगी । यात्रा का शुभारम्भ श्रीनगर के लाल चौक से होगा तथा कन्याकुमारी के विवेकानंद स्मारक पर खत्म होगा ।
देश की समस्त राजधानीयों में लोक संस्कृति से ओतप्रोत आयोजन होंगे ।
यात्रा का मूल उद्देश्य मातृभाषा को सशक्त बनाना है , विद्यार्थीयो के साथ~साथ शिक्षको व पालको को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी की भी मज़बूत पकड़ अपनी मातृभाषा पर बनी रहे और मातृभाषा का विकास अविरल चलता रहे ।
इस यात्रा से हमारा शिक्षा तंत्र मज़बूत होगा और देशवासी भी आपस में इसके माध्यम से एक दूसरे से जुड़ेंगे ।इस यात्रा में 20 स्वंम सेवकों का समूह होगा जो देश ~ प्रदेश स्तर पर सामंजस्य बैठाने का कार्य करेंगे। यह यात्रा जन~जन की यात्रा होगी । इसमें सभी राजनीति दल , सामाजिक संस्थाएं , शैक्षणिक संस्थाएं सभी भाग लेंगे । शासन के सहयोग से इस यात्रा के बाद यह अभियान अन्य हिन्दी भाषीय देशों में भी प्रस्थान करेगा ।
2.) हिन्दी कुलम विश्वविद्यालय

महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी द्वारा जो हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी उससे प्रेरणा लेते हुए, हिन्दी विकास यात्रा के दौरान दान~दाताओं से प्राप्त दान कर एक सर्वभाषीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जावेगी । जिसमे समस्त भारतीय भाषाओं के साथ~साथ प्रचलित विदेशी भाषाओं का अध्यन कराया जावेगा और इसके साथ- साथ ही विश्वविद्यालय में गौशाला, जैविक खेती का प्रावधान रहेगा इससे प्रत्येक विद्यार्थी प्रकृति से जुड़ कर इसके महत्व को समझेंगे ।
प्रत्येक छात्र अपने शिक्षा काल में कम से कम 75 पौधें लगायेगा, और प्रायोगिक परीक्षा में कितने पेड़ लगाये और उनमे से कितने जिन्दा है , उसी के आधार पर अंक मिलेंगे। सर्वांगीण नागरिक तैयार करना हमारा उद्देश्य होगा ।
इसी तर्ज़ पर एक ही छत के नीचे भाँति-भाँति प्रांत के बच्चे देश की सभी भाषाये सिख सकेगे, और देश संस्कृति रूपी धरोहर को सिंचित कर सकेंगे ।
